इस पोस्ट  में हमने इन सभी टोपिक को  कवर किया है जैसे Hindi short story, Short story in Hindi with moral और Motivational short story in Hindi

Short Stories in Hindi: बचपन से ही हम अपने बड़ों से, जैसे कि माता-पिता, नाना-नानी, दादा-दादी, से बहुत सी अनमोल कहानियों को सुनकर बड़े होते हैं। हमारे देश की परंपरा और संस्कृति में कहानियों का महत्व बहुत बड़ा है, और यह हमारे जीवन का जरुरी हिस्सा है।

खासकर गाँवों में, जहाँ मनोरंजन के लिए उपयुक्त साधन उपलब्ध नहीं होते, कहानियों का महत्व और बढ़ जाता है। लोग अक्सर रात के समय कहानियां गाकर या सुनाकर बच्चों को मनोरंजन करते हैं। ये कहानियां सिर्फ मनोरंजक ही नहीं होतीं, बल्कि वे शिक्षाप्रद भी होतीं हैं और नैतिक मूल्यों और नैतिकता के प्रति जागरूकता पैदा करती हैं।

Short Stories in Hindi - नैतिक शिक्षा की कहानियाँ हिंदी में

Best Short Stories in Hindi with Moral


ये कहानियां हमें जीवन के मूल्यों और नैतिकता के प्रति जागरूक करती हैं, और हमारे बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। ये कहानियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करती हैं और हमें अच्छे और बुरे कर्मों के बीच अंतर को समझने में सहायक होती हैं।

ऐसी कई कहानियां हैं जो हमें समझाती हैं कि नेकी, सच्चाई, और सत्य का पालन करना क्यों महत्वपूर्ण है। इन कहानियों के माध्यम से हम यह सीखते हैं कि बुराई, झूठ, और दुर्भाष का पालन करने के परिणाम भी होते हैं, और वे हमारे जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

कहानियों का सूनना बच्चों के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। ये कहानियां उनकी भाषा, समझ, और नैतिक दृष्टिकोण को सुधारती हैं, और उन्हें अच्छे बच्चे बनने के मार्ग पर लेती हैं। इन कहानियों के माध्यम से वे अच्छे गुण, सहानुभूति, और सहयोग के महत्व को समझते हैं।

कहानियों का एक और महत्वपूर्ण आयाम है - मनोरंजन. ये कहानियां बच्चों को मनोरंजन प्रदान करने में मदद करती हैं, और उन्हें सीखने का आनंद देती हैं। जब कहानियां मनोरंजन के साथ सिखाती हैं, तो बच्चों का ध्यान बेहतरीन तरीके से रहता है और वे स्थानीय विकास के लिए तैयार होते हैं।

इसलिए, कहानियां हमारे समाज के महत्वपूर्ण हिस्से हैं, और हमें इन्हें बच्चों को सिखाने और मनोरंजन के उपकरण के रूप में उपयोग करना चाहिए। इनका महत्व आज भी बरकरार है और इन्हें हमें आगे बढ़ने के लिए बनाए रखना चाहिए।

25 Short Moral story in Hindi - A Story in Hindi With Moral

  • जादुई बॉल की कहानी
  • माँ का प्यार की कहानी
  • अबकर और बीरबल की कहानी
  • दादी की पेन्सिल की कहानी
  • शेर और चूहा की कहानी (Short Story)
  • घमंडी राजा की कहानी
  • लालची लोमड़ी की कहानी (fox Story in Hindi)
  • लालची शेर की कहानी (a story in hindi with moral)
  • प्यासे कौवे की कहानी (Story of Thirsty Crow)
  • सुई देने वाली पेड़ की कहानी (Inspiring Story in Hindi)
  • भेड़िये और सारस की कहानी
  • लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी
  • नन्हीं चिड़िया की कहानी
  • हाथी और उसके दोस्त की काहानी (friendship moral story)
  • गधे और धोबी की कहानी
  • आलू, अंडे और कॉफी बीन्स की कहानी (Short Stories in Hindi)
  • लोमड़ी और अंगूर की कहानी
  • दो मेंडक की कहानी (Animal Stories in Hindi)
  • बातूनी कछुए की कहानी
  • मूर्ख गधा की कहानी
  • चींटी और कबूतर की कहानी
  • एक बूढ़े व्यक्ति की कहानी (motivational short story in Hindi)
  • रास्ते में बाधा की कहानी
  • गलत सलाहकार की कहानी
  • सबकी जीत के बारे में सोचें कहानी

1# जादुई बॉल की कहानी


बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में एक जादुई बॉल थी। वह बॉल सारे गाँव में चर्चा का विषय थी। लोग उस बॉल के बारे में कहानियाँ सुना करते थे और हर किसी को यकीन नहीं होता था कि ऐसी बातें सच हो सकती हैं।

गाँव में एक बच्चा था, नाम था राहुल। राहुल बड़ा ही उत्साही था और वह बॉल की कहानियों को सुनकर उसे पाने का जुनूनी बन गया। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर बॉल की खोज में निकल पड़ा। दिन भर वे उसे ढूंढते रहे, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।

एक दिन, राहुल अकेले ही जंगल में घूम रहा था, वहां उसने एक रहस्यमयी गुफा देखी। उसने देखा कि उस गुफा के अंदर बॉल थी, जिसकी रौशनी से पूरा गुफा चमक उठा था। राहुल ने उस बॉल को छुआ और जैसे ही उसने उसे छुआ, उसकी जिंदगी में जादुई बदलाव हो गया। उसे समझ में आ गया कि वह जादुई बॉल ही थी, जिसकी कहानियाँ उसने सुनी थी।

राहुल ने उस बॉल की सहायता से गाँव को समृद्ध कर दिया, उसने उस बॉल की शक्ति का सही उपयोग किया और गाँववालों की मदद की। उसकी मेहनत और जादुई बॉल की शक्ति ने उस गाँव को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचा दिया।

जादुई बॉल ने राहुल को सिखाया कि हमारे पास जो शक्तियाँ होती हैं, उन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि हम और हमारे आस-पास के लोग खुशहाली और समृद्धि से भर जाएं।

#2 माँ का प्यार की कहानी


यह कहानी है एक माँ और उसके बच्चे के प्यार की।

एक छोटे से गाँव में एक माँ और उसके एकमात्र बच्चे का आशीर्वाद था। माँ ने अपने बच्चे को प्यार से पाला-पोषा किया और उसे सबसे अच्छा शिक्षा दिलाई। वे एक-दूसरे के साथ बड़े ही खुश रहते थे।

बच्चा बड़ता गया और उसने अपनी माँ के साथ बिताए गुजरे समय की कदर करनी शुरू की। वह समझता था कि माँ का प्यार कितना महत्वपूर्ण है।

एक दिन, जब उनका बच्चा अगले शहर में पढ़ाई के लिए जा रहा था, माँ ने उसे एक प्याला दूध दिया। बच्चा हिचकिचाया, क्योंकि उसकी उम्र तो दूध पीने की नहीं थी। माँ ने हंसते हुए कहा, "बेटा, यह तो तुम्हारे लिए नहीं है, यह मेरा प्यार है। तुम दूर रहोगे, पर मेरे दिल के पास हमेशा होगा।"

बच्चा अपनी माँ के दूध की महत्वपूर्ण बात समझ गया और उसने उसे पी लिया। उसके दिल में माँ का प्यार की गहरी महसूस हो गयी।

वह शहर चला गया, पढ़ाई की बड़ी मेहनत से की और एक दिन वह बड़ा आदमी बन गया। पर उसके दिल में माँ का प्यार हमेशा बरकरार रहा। वह हमेशा अपनी माँ के साथ बिताए हुए समय की कदर करता था।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि माँ का प्यार अनमोल होता है और हमें उसकी महत्वपूर्ण बातों की कदर करनी चाहिए। माँ हमारे जीवन में विशेष होती हैं और उनका प्यार हमारे लिए हमेशा मौजूद रहता है।

3# अबकर और बीरबल की कहानी


एक समय की बात है, दिल्ली के सम्राट अकबर बहुत ही बुद्धिमान और होशियार थे। वह अपने दरबार में बहुत सारे मंत्री और आदर्शकों के साथ रहते थे, लेकिन उनमें से कोई भी अकबर की समझ को पूरी तरह समझ नहीं पा रहा था।

एक दिन, अकबर अपने मंत्री बीरबल से एक परीक्षा की तैयारी करने का आदेश दिया। वह चाहते थे कि उनके मंत्री में से कोई एक ऐसा हो, जो उनकी समझ को पूरी तरह समझ सके।

बीरबल ने अपनी परीक्षा की तैयारी में बहुत मेहनत की और एक सप्ताह के बाद अकबर के सामने पेश हुए।

अकबर ने उससे एक सवाल पूछा, "बीरबल, यदि मैं तुझे एक सोने के आणव की खोज करने को कहूँ तो तू क्या करेगा?"

बीरबल ने स्वयंसंचित करके उत्तर दिया, "सम्राट, अगर आप मुझे एक सोने के आणव की खोज करने का आदेश देते हैं, तो मैं पहले सोने के खदान की खोज करूँगा।"

अकबर कुछ देर सोचे और फिर हंसकर बोले, "बीरबल, तुमने सही उत्तर दिया। तुम मेरी समझ को समझते हो।"

इसके बाद से, बीरबल और अकबर के बीच की दोस्ती और भी मजबूत हो गई और वह सम्राट के साथ उनके न्यायपाल और सलाहकार के रूप में कार्य करने लगे।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि समझदारी और तर्कपूर्ण उत्तर देने की क्षमता एक व्यक्ति को बड़ा बना सकती है और दोस्ती और समरसता को बढ़ावा देती है।

4# दादी की पेन्सिल की कहानी


एक छोटी सी गाँव में एक दादी रहती थी। उनका नाम दादी अमृता देवी था। दादी अमृता देवी बच्चों के बीच बहुत पसंदीदा थीं क्योंकि वे हमेशा बच्चों की समझदारी और अच्छाई की कहानियां सुनाया करती थीं।

एक दिन गाँव में एक छोटी सी बच्ची ने दादी अमृता देवी से पेन्सिल मांगी। दादी ने बच्ची को खुशी-खुशी एक पुरानी पेन्सिल दे दी, जिसकी धार कुछ टूटी हुई थी लेकिन वह अभी भी ठीक से काम कर रही थी।

बच्ची ने खुशी-खुशी उस पेन्सिल का उपयोग किया, और वहां से चली गई। बच्ची ने दादी के पास वापस आते ही बड़ी खुशी से बताया, "दादीजी, यह पेन्सिल बहुत अच्छी है, इसने मुझे बहुत अच्छी तरह से लिखने में मदद की है!"

दादी अमृता देवी ने मुस्कुराते हुए कहा, "बेटा, कभी-कभी हमें वो चीजें भी काम आती हैं जिनकी धार टूटी हुई हो, क्योंकि उनमें अपनी समय की कहानी छुपी होती है।"

उस दिन से बच्ची ने समझा कि हर चीज़ की अपनी अहमियत होती है, और दादी अमृता देवी ने उसे एक महत्वपूर्ण सीख दी कि हर चीज़ में अच्छाई छुपी होती है। दादी अमृता देवी की पेन्सिल ने उनकी बचपन की यादों को ताजगी से भर दिया।

5# शेर और चूहा की कहानी (Short Stories in Hindi)


एक समय की बात है, जब एक शेर जंगल में अपनी नींद सो रहा था। तभी एक चूहा उसके पास आया और अपने मनोरंजन के लिए उसके शरीर पर उछल कूदने लगा। इससे शेर की नींद खराब हो गई और उसने खुद को उठाया, गुस्सा भी आया।

फिर चूहे को पकड़ने का वक्त आया, तो शेर ने उसे खाने का इरादा किया। लेकिन चूहे ने उससे विनती की और उसे आजाद करने के लिए कसम खाई कि कभी भी अगर शेर की मदद की जरूरत पड़े, तो वह तय की गई कसम का पालन करेगा। चूहे की इस बड़ी साहसिकता ने शेर को हंसी आई और उसे जाने दिया।

कुछ महीनों बाद, एक दिन जब कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने आए, तो उन्होंने एक जाल में फंसे शेर को खोज लिया। उन्होंने उसे एक पेड़ से बाँध दिया। शेर ने खुदको बचाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। इस परेशानी में, वह जोर-जोर से दहाड़ने लगा। उसकी दहाड़ बहुत दूर तक सुनाई देने लगी.

जब यह दहाड़ आसपास के जंगल में गूंथ गया, तो एक पास से गुजर रहे चूहे को लगा कि शेर दुखी है। जैसे ही चूहा शेर के पास पहुँचा, वह तुरंत अपने तेज पैंट के दंतों से जाल को काट दिया, जिससे शेर कुछ ही समय में आज़ाद हो गया। शेर ने चूहे का धन्यवाद किया.

बाद में, ये दोनों एक साथ मिलकर जंगल की ओर बढ़ गए।

6# घमंडी राजा की कहानी


बहुत समय पहले, एक गांव में एक बड़ा घमंडी राजा था। वह राजा अपने साथी और नौकरों के साथ बहुत आत्मविश्वासी था। उसका घमंड उसकी शक्ति और संपत्ति पर आधारित था, और वह अपने प्रजा के साथ अच्छे से नहीं व्यवहार करता था।

एक दिन, एक बुद्धिमान गरीब व्यक्ति गांव के बाजार में आया और राजा के पास गया। वह राजा से मिलकर बोला, "आपके पास बहुत सारी संपत्ति है, लेकिन क्या आप वास्तव में बड़े और महान हैं?"

राजा घमंड से भरपूर था और उसने कहा, "हां, मैं बहुत ही महान हूं। मेरे पास बहुत सारी संपत्ति और सेना है, जो मुझे महान बनाती है।"

बुद्धिमान गरीब व्यक्ति ने मुस्कराते हुए कहा, "ठीक है, अगर आप सचमुच महान हैं, तो मुझे एक साधु बाबा के पास जाने के लिए आपके साथ एक बड़ा रथ और उसकी टमटम की आवश्यकता होगी। वह साधु बाबा दुनिया के सबसे महान व्यक्ति को पहचान सकते हैं।"

राजा को अपने घमंड में समस्या हो गई, लेकिन उसने स्वीकार किया और बड़े रथ के साथ साधु बाबा के पास जाने के लिए निकल पड़ा।

साधु बाबा के पास पहुंचने पर राजा ने अपने घमंड से कहा, "मुझे महान बना दिजिए, मैं दुनिया के सबसे महान व्यक्ति बनना चाहता हूं।"

साधु बाबा ने मुस्कराते हुए कहा, "महान बनने के लिए, आपको अपने घमंड को छोड़ना होगा। घमंड आपकी महानता की राह में खड़ा अवरोध है।"

राजा ने अपने घमंड को छोड़ दिया और साधु बाबा के उपदेशों का पालन किया। वह अपनी संपत्ति और सेना के साथ अच्छे से अपने प्रजा की सेवा करने लगा।

कुछ सालों बाद, लोग उसे वाकई महान मानने लगे और वह एक सच्चे महान राजा बन गया। उसने सीखा कि घमंड और अहंकार किसी को भी सच्चे महानता की ओर नहीं ले जा सकते, बल्कि सेवा और मानवता ही वास्तविक महानता हैं।

7# लालची लोमड़ी की कहानी


बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक लालची लोमड़ी रहती थी। वह लोमड़ी बहुत ही होशियार और चालाक थी, लेकिन उसकी बड़ी आलसी और लालची आदतें थीं। वह हमेशा खुद के लिए और अपने खाने के लिए दूसरों के साथ धोखाधड़ी करने की सोचती रहती थी।

एक दिन, वह जंगल में एक साधू आदमी से मिली, जो अच्छा और ईमानदार था। साधू ने उसे सिखाया कि लालच से केवल बुरा होता है और जीवन में खुश रहने के लिए देने की भावना होनी चाहिए।

लेकिन लालची लोमड़ी ने साधू की बातों को ध्यान नहीं दिया और वह अपनी लालची आदतों को बदलने का इरादा नहीं किया।

कुछ दिनों बाद, जंगल में एक महिला लोमड़ी अपने छोटे बच्चों के साथ आई। वह बच्चों के लिए खाने की तलाश में थी, क्योंकि वे भूख से मर रहे थे।

लालची लोमड़ी को यह देखकर दुख हुआ, लेकिन उसका लालच उसे अपने बच्चों के साथ अपने साथी लोमड़ि के साथ नहीं बाँटने दिया।

एक दिन, जब लालची लोमड़ी अपने लालची आदतों के चलते खुद भूख से तड़प रही थी, वह बेहद कमजोर हो गई और आखिरकार मर गई।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि लालच से हमेशा बुरा होता है और हमें देने की भावना को सीखना चाहिए। अपने लालची आदतों को बदलकर हम अपने आसपास के लोगों की मदद कर सकते हैं और एक खुशहाल और संतुष्ट जीवन जी सकते हैं।

8# लालची शेर की कहानी


बहुत समय पहले की बात है, जंगल में एक बड़ा ही डरावना और लालची शेर रहता था। इस शेर का नाम बदलपुरा था, क्योंकि वह अपनी लालची आदतों के लिए प्रसिद्ध था। बदलपुरा शेर के लिए बस एक ही बात मायने रखती थी - और वह थी भोजन!

एक गर्मी के दिन, बदलपुरा शेर को बहुत जोरों से भूख लगी। वह पिछले कुछ दिनों से भोजन की तलाश में था, लेकिन खुद को संतुष्ट करने वाला कुछ नहीं मिला। इसलिए वह इधर-उधर खाने की तलाश करने लगा।

कुछ देर खोजने के बाद, बदलपुरा शेर को एक खरगोश मिला। खरगोश बड़ा ही सुंदर और मांसाहारी शेर के लिए एक अच्छा भोजन बन सकता था। लेकिन बदलपुरा शेर को यह खरगोश बहुत छोटा लगा, और वह इसे खाने की बजाय छोड़ दिया।

फिर कुछ देर धुंडने के बाद, बदलपुरा शेर ने रास्ते में एक हिरन को देखा। हिरन बहुत ही स्वादिष्ट लग रहा था, और बदलपुरा शेर ने उसका पीछा किया। लेकिन चूँकि वह बहुत से खाने की तलाश कर रहा था, ऐसे में वह थक गया था, और इस कारण वह हिरन को पकड़ नहीं पाया।

अब जब उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला, तो वह वापस उस खरगोश को खाने के विषय में सोचने लगा। वहीं जब वह वापस उसी स्थान में आया था, तो उसे वहां पर कोई भी खरगोश नहीं मिला क्यूंकि वह वहां से चला चुका था।

अब बदलपुरा शेर काफ़ी दुखी हुआ और बहुत दिनों तक उसे भूखा ही रहना पड़ा। 

9# प्यासे कौवे की कहानी 


एक समय की बात है, गांव में एक प्यासे कौवा बसे थे। वह कौवा बहुत दिनों से भूखा था और उसके पेट में दर्द हो रहा था। वह सोचता रहता कि वह अपनी प्यास बुझा सके, लेकिन कहीं से भी खाने का साधना नहीं कर पा रहा था।

एक दिन, कौवा ने एक वृक्ष पर बैठकर सोचा, "मैं कैसे अपनी प्यास बुझा सकता हूँ? यहाँ तो कुछ खाने के लिए भी कुछ नहीं है।"

तभी उसने एक पानी की मशक देखी, जो एक गांव के पानी किनारे पर रखी थी। कौवा ने तय किया कि वह वहाँ जाकर पानी पी कर अपनी प्यास बुझाएगा।

कौवा उड़कर मशक की ओर बढ़ गया, लेकिन मशक में बहुत कम पानी था, और वह गहरी मशक में फंस गया। कौवा ने कई बार कोशिश की, लेकिन वह निकलने में असफल रहा।

इसके बाद कौवा ने सोचा, "इस मशक में पानी कम है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं हार मान दूं।"

फिर कौवा ने एक बड़ी शानदार विचारधारा बनाई। वह जब बहुत ज़ोर से कुछ दरवाजे के पास टकराया, तो मशक गिला हो गया और पानी निकलने लगा। कौवा ने जल्दी से पानी पी लिया और उसकी प्यास बुझ गई।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हालात चाहे जैसे भी हों, हमें हार नहीं मानना चाहिए। हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन हमारे उन विचारधाराओं और कठिनाइयों के साथ ही हम सफलता पा सकते हैं।

10# सुई देने वाली पेड़ की कहानी


बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक अजीब पेड़ खड़ा था। यह पेड़ किसी भी और पेड़ से अलग था, क्योंकि इस पेड़ की शाखाओं पर सुई जैसे नोकिले बढ़े हुए थे। इसलिए लोग उसे "सुई देने वाली पेड़" कहते थे।

गाँव के लोग इस पेड़ को देखकर चौंक जाते थे, और कोई भी उसके पास जाने से बचता था। किसी ने सुना था कि जो भी इस पेड़ के पास जाता है, उसे सुई मारकर छुरा कर देता है। इसलिए लोग उससे दूर रहते थे और डरते थे।

एक दिन, गाँव का एक छोटा सा बच्चा उस पेड़ के पास गया। वह बच्चा बहुत ही नादान और खुदमुखी था। वह देखना चाहता था कि क्या सच में यह पेड़ सुई मारता है और छुरा करता है।

बच्चा पेड़ के पास पहुँचा और धीरे-धीरे पेड़ के पास जाकर उसकी शाखाओं पर छुरे की तरफ देखने लगा। बच्चे की साहस बढ़ती गई, और वह अपना हाथ सुई की ओर बढ़ाता है।

पर उसका होने वाला नातिजा कुछ और ही था। जब वह छुरा लगाने की कोशिश कर रहा था, तो पेड़ की एक छोटी सी शाखा टूट जाती है, और उसका हाथ चोट लेता है। बच्चा डर के मारे पीछे हट जाता है, लेकिन पेड़ ने कुछ नहीं किया।

यह दृश्य उसके माता-पिता को देखकर बड़े ही हैरानी में डाल देता है। वे उसके पास आकर पूछते हैं, "तुमने क्या किया? क्या वह पेड़ तुम्हें छुरा मारकर छुरा किया?"

बच्चा रोते हुए कहता है, "नहीं, मम्मी-पापा, वह पेड़ मुझे चुभा नहीं। मैं उसकी छुरी की तरफ जा रहा था, लेकिन मेरा हाथ फिसल गया और मेरी उंगली चोट गई।"

माता-पिता बच्चे की तबियत देखकर गले लगाते हैं और उसे समझाते हैं, "बेटा, हमें खुदमुखी होने का कोई बुरापा नहीं है। तुमने सच्चाई को जानने की कोशिश की, और यह अच्छी बात है। लेकिन हमें भी याद दिलाना चाहिए कि अकेले खतरे का सामना करना खतरनाक हो सकता है।"

इसके बाद, बच्चा अपने माता-पिता के साथ घर वापस चला जाता है।

11# भेड़िये और सारस की कहानी


बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में एक भेड़िया रहता था। वह भेड़िया अकेला था और उसे खाने के लिए हमेशा भटकना पड़ता था। एक दिन, जब वह जंगल में घूम रहा था, उसने एक सारस को देखा। सारस एक हेरफेर से झूल रहा था और दिखाई दे रहा था कि वह बहुत खुश है।

भेड़िया ने सारस के पास जाकर पूछा, "आप इतने खुश क्यों हैं? क्या राज है आपकी खुशियों के पीछे?"

सारस मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "मेरे पास एक सदैव सहायक और आशीर्वादकारी दोस्त है, जो हमेशा मेरे साथ हैं।"

भेड़िया बहुत हेरान हुआ और पूछा, "ऐसा दोस्त कैसे मिला? क्या आप मुझे भी एक ऐसा दोस्त दिला सकते हैं?"

सारस ने समझाया, "यह दोस्त उस विश्वास का प्रतीक है जो हम एक-दूसरे पर रखते हैं। हम एक-दूसरे की मदद करते हैं और आपसी साथ में खुशियों का आनंद लेते हैं।"

भेड़िया ने समझ लिया कि सच्ची दोस्ती का मतलब विश्वास और साथीता है। उसने सारस से दोस्ती कर ली और उनके साथ जीवन के सुखों का आनंद लिया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि दोस्ती में विश्वास और साथीता महत्वपूर्ण होता है। अगर हम अपने दोस्तों के साथ आपसी साथीता बनाते हैं, तो हम जीवन के हर पहलू में सुखी और समृद्ध हो सकते हैं।

12# लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी


बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लकड़हारा रहता था। वह गाँव के सभी लोगों के लिए बड़ा महत्वपूर्ण था, क्योंकि वह लकड़ी काटकर उन्हें घरों और किसानी के कामों के लिए लकड़ी की कई चीजें बनाता था। वह एक साधू आत्मा के साथ एक गरीब दिखता था और हमेशा हर किसी की मदद करने के लिए तैयार रहता था।

एक दिन, गाँव के एक युवक नामक सुनहरी कुल्हाड़ी गाँव आया। वह बड़ी सुंदर और शक्तिशाली था और उसके पास एक चमकदार सुनहरी कुल्हाड़ी थी। वह गाँव के लोगों को अपनी शक्ति और धैर्य के साथ प्रभावित कर दिया।

लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की पहली मुलाकात में, वे एक-दूसरे के साथ अच्छे दोस्त बन गए। वे साथ में काम करने लगे और गाँव के सारे कामों को आसानी से करने लगे।

एक दिन, एक बड़ी मुश्किल आई। गाँव के पास एक अत्यंत भयंकर दिनोसोर आया और गाँव के लोगों को आतंकित किया। लोग बेहद डरे हुए थे और चिंतित थे कि यह दिनोसोर उन्हें हानि पहुंचा सकता है।

लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी ने मिलकर गाँव के लोगों को यह सिखाया कि उन्हें साथ मिलकर समस्या का समाधान ढूंढना होगा। वे एक योजना बनाई और दिनोसोर के साथ मुकाबला करने का निश्चय किया।

उन्होंने दिनोसोर को बहुत सारी बड़ी बड़ी चीजें दिखाई, जैसे कि सुनहरी कुल्हाड़ी की चमकदार कुल्हाड़ी, और उन्होंने उसे यह बताया कि वे दिनोसोर की मदद कर सकते हैं और उसके साथ एक मित्रता बना सकते हैं।

दिनोसोर थोड़ी देर सोचने के बाद मान गया और वह लोगों के साथ मिलकर गाँव के निवासियों की सहायता करने लगा। लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की विवेकपूर्ण योजना और साहस ने उन्हें सफलता दिलाई।

इसके बाद, गाँव में एक नया मित्र मिला और वे सबके बीच एक दूसरे के साथ खुशहाली से रहने लगे। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि समस्याओं का समाधान हमें साथ मिलकर ढूंढना चाहिए, और दोस्ती और सहयोग कितने महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

13# नन्हीं चिड़िया की कहानी


एक समय की बात है, जब एक छोटी सी चिड़िया एक अंधेरे जंगल में अकेली बैठी थी। वह चिड़िया बहुत ही नन्हीं थी, लेकिन उसमें विशेष प्रकार की उम्मीद और संघर्ष की भावना थी।

चिड़िया का नाम छोटू था, और वह अपने छोटे से आकार के बावजूद बड़े सपने देखती थी। वह दिन-रात सुना था कि आसमान में एक बड़ा सा पेड़ है, जिसके फलों में सबसे सुंदर मनगल फल होता है। छोटू चाहती थी कि वह मनगल फल का स्वाद चखे, लेकिन वह उस पेड़ तक कैसे पहुंच सकती थी, वह समझ नहीं पा रही थी।

एक दिन, छोटू ने अपने दोस्त मितली से अपनी ख्वाबों की बात कही। मितली ने उसे साहस दिलाने की सलाह दी और कहा, "तुझे जो करना है, वह करने के लिए तैयार रहना।"

छोटू ने मितली की सलाह मानी और अपना सफर शुरू किया। वह पहले दिन सूखे पूर्व की ओर बढ़ी, लेकिन रास्ते में बहुत सारी मुश्किलें आईं। वह थक जाने के बावजूद नहीं हारी और अगले दिन फिर से सफर जारी रखी।

दिन-रात के संघर्ष के बाद, छोटू ने आखिरकार वह पेड़ पाया जिसके मनगल फल थे। वह फल का स्वाद चखकर बहुत खुश हुई और उसे अपने दोस्तों के साथ बांटा।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि आपके सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना और कभी हार नहीं मानना चाहिए। छोटू ने अपनी उम्मीद और मेहनत के साथ अपने सपने को पूरा किया, और हमें भी अपने लक्ष्य की दिशा में मेहनत और आत्म-विश्वास बनाए रखना चाहिए।

14# हाथी और उसके दोस्त की काहानी (Short Stories in Hindi)


बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक हाथी आशा नामक बड़े ही सुदर और दिलकश था। वह जंगल का राजा था और सभी जानवर उसके साथ बहुत अच्छे दोस्त थे।

एक दिन, हाथी अकेला जंगल में घूम रहा था। वह अपने आप में सोच रहा था कि क्या उसकी जिंदगी में कुछ नया हो सकता है। तभी उसने सुना कि कुछ दूर पर कुछ अजीब सी आवाजें आ रही हैं।

हाथी उस ओर बढ़ा और देखा कि वह आवाजें एक बंदर समूह की हैं, जो एक पेड़ के पास बैठे थे। बंदर एक दूसरे के साथ खेल रहे थे और बहुत खुश दिख रहे थे। हाथी ने वहां जाकर एक बंदर से पूछा, "ये तुम क्या खेल रहे हो? क्या मैं भी खेल सकता हूँ?"

बंदर ने हँसते हुए कहा, "हां, तुम भी हमारे साथ खेल सकते हो, पर तुमको हमारे साथ घुटना बेंद करके खेलना होगा।"

हाथी ने सोचा कि वह इस छोटे से बंदर के साथ बिना घुटना बेंद किए खेल सकता है, लेकिन जब वह खेलने बैठा, तो पता चला कि वह असंभव है। वह बंदरों के साथ खेलने में असमर्थ था।

बंदर ने मुँह छिपाते हुए कहा, "तुम इस खेल को समझने की कोशिश मत करो, हाथी भैया। तुम्हारी जिंदगी में तो अपने तरीके से खुश रहो।"

हाथी ने बंदरों के साथ खेलने की कोशिश तो की, पर वह जितना वाला था, वह हार गया। बंदर बड़े खुश थे, क्योंकि वे अपने खेल में माहिर थे, और हाथी अब जान गया कि हर किसी का अपना दम होता है।

हाथी वापस अपने दोस्तों के पास गया और उनसे मिलकर बड़े खुश दिखा। वहन उसने अपने दोस्तों के साथ अपनी जीवन की खुशियों को मान लिया और समझ गया कि हर किसी की शक्तियाँ और कमजोरियाँ अलग-अलग होती हैं, और इसमें कोई भी गर्व नहीं होता।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें दूसरों की कमजोरियों पर हंसी नहीं उड़ानी चाहिए, और हमें अपने दोस्तों की मदद करनी चाहिए जब वे किसी मुश्किल से गुजर रहे होते हैं।

15# गधे और धोबी की कहानी


एक समय की बात है, एक गांव में एक गधा और एक धोबी रहते थे। गधा और धोबी का घर आपस में बिलकुल पास था। धोबी अपने घर के बाहर रोज अपने कपड़ों को धोकर सुखाने के लिए उनके गधे की मदद लेता था। गधे के पास अच्छा आवाज था, और वह किसी के साथ बात करने के लिए बहुत ही अच्छा था।

गधे और धोबी के बीच में एक अच्छी दोस्ती थी। वे हर दिन बात करते और हंसी-मजाक करते थे। धोबी कभी-कभी गधे के साथ अपनी चिंताओं को भी साझा करता था। गधे हमेशा उसकी समस्याओं को सुनता और सहयोग करने का प्रयास करता।

एक दिन, गधे को एक बड़ा ख्याल आया। उसने धोबी से कहा, "मेरे प्यारे दोस्त, हम दोनों एक साथ काम करके और भी अधिक पैसे कमा सकते हैं।"

धोबी चौंक गया और पूछा, "लेकिन कैसे?"

गधे ने हँसते हुए कहा, "तुम मेरे पीछे चढ़ोगे, और मैं तुम्हें अपनी पीठ पर लेकर जाऊंगा। फिर हम मिलकर अधिक काम कर सकेंगे।"

धोबी ने सोचा और सहमत हो गया। उन्होंने यह प्लान अपनाया और गधे की पीठ पर चढ़ गया। गधे और धोबी ने साथ मिलकर बहुत सारा काम किया और ज्यादा पैसे कमाए।

धोबी ने इस तरीके से गधे के साथ काम करने का लाभ उठाया, और गधे ने भी धोबी की मदद की। इसके परिणामस्वरूप, उनकी दोस्ती और उनका साथ बढ़ गया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि साथ मिलकर काम करने से हम अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं। दोस्ती और सहयोग हमारे जीवन में खुशियों का स्रोत बन सकते हैं और हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद कर सकते हैं।

16# आलू, अंडे और कॉफी बीन्स की कहानी


एक छोटे से गाँव में आलू, अंडे और कॉफी बीन्स एक छोटे से दुकान में रहते थे। वे तीनों दोस्त थे और हर दिन साथ में खेलते, हंसते और मिल-जुलकर बिताते थे। आलू हमेशा हंसमुख और खुश दिखाई देता था, अंडे बहुत ही समझदार और समझदार था, जबकि कॉफी बीन्स बहुत ही जिज्ञासु और उत्साही थे। उनकी दुकान गाँव वालों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध थी, क्योंकि वे सभी बहुत ही उत्कृष्ट गुणवत्ता के माल प्रदान करते थे।

एक दिन, गाँव में एक भयंकर तूफान आया और सभी दुकानों को नुकसान पहुंचाया। आलू, अंडे और कॉफी बीन्स की दुकान भी नुकसान उठाने लगी। लेकिन उन्होंने अपने आप को हार नहीं माना और साथ मिलकर दुकान को फिर से सुधारने और बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने मिलकर कड़ी मेहनत की और दुकान को फिर से खूबसूरत बनाया।

उनकी दृढ़ता, सहयोग और आपसी विश्वास ने उन्हें सफलता की ओर आगे बढ़ने में मदद की। उनकी मेहनत और उनकी दृढ़ निश्चयता ने उन्हें गाँव में नाम कमाया। उनकी दुकान फिर से पूरी तरह से खुल गई और उनकी मेहनत ने उन्हें खुशहाली की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में आने वाली मुसीबतों का सामना करना और उन्हें पार करना हमारी मेहनत, दृढ़ निश्चयता और सहयोग से ही संभव होता है। इसके अलावा, साथ मिलकर किसी भी मुश्किल को पार करना और सफलता प्राप्त करना सम्भव होता है। आलू, अंडे और कॉफी बीन्स की यह कहानी हमें साझेदारी, मिल-जुलकर काम करने और हर मुश्किल से लड़कर उसे पार करने की महत्ता सिखाती है।

17# लोमड़ी और अंगूर की कहानी


एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी जिसका नाम छोटी था। छोटी बहुत ही चालाक थी और हर बार वह अपने शिकार को पकड़ने में सफल होती थी। वह अकेली होने के बावजूद भी खुश रहती थी।

एक दिन, छोटी जंगल में एक अंगूर के पेड़ के पास जा पहुंची, जिस पर अनेक सुंदर अंगूर लटक रहे थे। उसने देखा कि वहाँ से गुजरने वाले पक्षियों को भी इन अंगूरों से बहुत पसंद आ रहे थे। छोटी ने सोचा, "ये अंगूर तो बहुत ही स्वादिष्ट लग रहे हैं। मैं भी इन्हें चखूंगी।"

छोटी ने अपनी चालाकियों से एक योजना बनाई और उसने अंगूरों तक पहुंचकर उन्हें खाने की कोशिश की। लेकिन वह ऊंचे पेड़ पर थे और उसको उन्हें तोड़ने में असमर्थ थी।

उसने अंगूरों की ओर ध्यान दिया और सोचा, "अगर मैं यहाँ ऊंचे पेड़ तक पहुंच गई तो मुझे ये स्वादिष्ट अंगूर मिल जाएंगे।" इसलिए, छोटी ने अपनी पूंछ से अंगूरों को हिलाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं टूटे।

छोटी ने अपने दोस्त खरगोश से मदद मांगी और उन्होंने मिलकर मिलकर उस अंगूर के पेड़ को हिलाने की कोशिश की। खरगोश ने ऊपर की ओर छलांग लगाई और छोटी ने अंगूरों को अपनी पूंछ से टूटने में मदद की।

अंत में, उन्होंने एक साथ मिलकर कामयाबी हासिल की और छोटी को उस स्वादिष्ट अंगूर का अनुभव हुआ जिसका उसने तड़पते हुए इंतजार किया था।

छोटी ने खरगोश को धन्यवाद दिया और उसकी मदद के लिए आभारी रही। उसकी चालाकी और खरगोश की ताकत ने साथ मिलकर उन्हें जंगल की सबसे पसंदीदा दोस्त बना दिया।

इसी तरह, छोटी और खरगोश ने जंगल में एक नयी मित्रता की शुरुआत की और साथ में खुशियों और आनंद की बहार लेकर आगे बढ़े।

18# दो मेंड़क की कहानी (Short Animal Stories in Hindi)


बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से नदी किनारे, एक बड़ा ही भूमिगत जलजीवन बसा हुआ था। इस नदी में दो मेंड़क बहुत अच्छे दोस्त रहते थे। उनके नाम रामू और श्यामू थे।

रामू और श्यामू बहुत अच्छे दोस्त थे, और वे हमेशा साथ में खेलते, नदी में सैर करते, और बातें करते थे। उनकी दोस्ती नदी किनारे के सभी जीवों के बीच मशहूर थी।

एक दिन, रामू और श्यामू ने नदी के किनारे पर एक बड़े ही पैरे वाले पानी में रहने वाले एक मेंढ़क को देखा। मेंढ़क बहुत डरे हुए थे और पानी में डूबकर बचाने के लिए दुबक गए थे।

रामू और श्यामू ने मेंढ़क को देखकर दुखी हो जाते हैं। वे समझ गए कि मेंढ़क डरे हुए हैं और उनकी मदद की आवश्यकता है।

रामू ने श्यामू से कहा, "हमें उस मेंढ़क की मदद करनी चाहिए। उसे पानी से बाहर निकालना होगा।"

श्यामू और रामू ने मेंढ़क की मदद के लिए मिलकर कोशिश की। वे मिलकर मेंढ़क को पैरों से पकड़कर नदी से बाहर निकालने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन वे छोड़ने में सफल नहीं हो सके।

फिर एक बड़ी सी बिल्ली आई, और देखकर हंसी में फूंकी, "तुम दोनों मेंढ़क की मदद कर रहे हो? तुम दोनों तो छोटे हो, तुम इस मेंढ़क को कैसे बचा सकते हो?"

रामू और श्यामू ने बिल्ली से कहा, "हम छोटे हो सकते हैं, लेकिन हमारी आत्मा बड़ी है और हमारे पास बड़ा दिल है। हमें उस मेंढ़क की मदद करनी है, क्योंकि हम जानते हैं कि सहायता करना हमारा कर्तव्य है।"

बिल्ली थोड़ी देर सोचने के बाद मेंढ़क की मदद करने में सहमत हो गई और मेंढ़क को नदी से बाहर निकालने में मदद की।

मेंढ़क बहुत खुश हुए और धन्यवाद दिया कि रामू, श्यामू, और बिल्ली ने उनकी जान बचाई।

इसके बाद, रामू, श्यामू, और बिल्ली मेंढ़क के साथ दोस्त बन गए, और वे सब मिलकर खुशी-खुशी नदी में खेलने लगे।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि दोस्ती, मदद, और दिल से चाहने की शक्ति हमें समस्याओं से निकलने में मदद कर सकती है। छोटे से होने पर भी हम बड़े काम कर सकते हैं, अगर हमारे दिल में सही भावनाएं हों।

इसी तरह रामू, श्यामू, और बिल्ली ने अपनी मित्रता और दिल से किसी की मदद करने की शक्ति को सिद्ध किया और एक खुशहाल जीवन बिताया।

19# बातूनी कछुए की कहानी


बातूनी कछुआ था, उसका नाम राजू था। वह एक छोटे से झील में रहता था जो एक छोटे से पहाड़ी के नीचे बसी थी। राजू बड़ी ही मस्तिमौला और मिठास भरी आवाज़ में बात करता था। वह झील के चारों ओर घूमता, खाता और उसकी दोस्ती बड़ी आसानी से हो जाती।

एक दिन, राजू की दोस्ती एक कछुए से हुई। उस कछुए का नाम छोटू था। छोटू बहुत ही संजीवनी और धैर्यशील था। उसकी भरपूर मेहनत और आत्मविश्वास ने उसे बहुत से मुश्किलों से पार करने में मदद की।

राजू और छोटू की दोस्ती दिन प्रतिदिन मजबूत होती गई। वे साथ में खेलते, घूमते और एक दूसरे की मदद करते थे। एक दिन, जब वे घूमते हुए थे, उन्हें एक बड़ी चिड़िया ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया। वे भागने लगे, लेकिन छोटू ने अपनी धैर्यशीलता से उन्हें बचाया।

उस घटना के बाद, राजू ने समझा कि छोटू की धैर्यशीलता और साहस से ही उसने उन्हें उस खतरे से बचाया था। वह भी अब धैर्यशील बनने का निर्णय लिया और उसकी दोस्ती और छोटू की मेहनत से लेकर उसकी जिंदगी में बहुत सारी खुशियाँ आई।

इस तरह, राजू और छोटू की दोस्ती ने उन्हें एक दूसरे की मदद करने, समझने और साथ में खुशियों की दुनिया बनाने की महत्वपूर्ण सीख सिखाई।

20# मूर्ख गधा की कहानी (Short Moral Story in Hindi)


बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक मूर्ख गधा रहता था। उसका नाम गोपाल था, और वह गाँव का सबसे मूर्ख गधा माना जाता था। वह हमेशा अजीब-अजीब चीजें करता था और उसकी बुद्धि कभी भी सही नहीं चलती थी।

गोपाल के दोस्त उसके मजाक उड़ाते थे और उसके साथ खेलने से इनकार करते थे, क्योंकि वे समझते थे कि गोपाल समय बर्बाद कर रहा है। गोपाल की मां भी उससे परेशान थी, और वह चाहती थी कि उसका बेटा थोड़ा समझदार बने।

एक दिन, गोपाल गाँव के पंचायत चुनाव में भाग लेने का फैसला किया। सभी गाँववालों ने हंसी में बहकर कहा, "यह तो पूरी तरह से मूर्ख है, क्या यह पंच बन सकता है?"

गोपाल ने इन टिप्पणियों को नजरअंदाज किया और पंच चुनाव में भाग लिया। चुनाव अपने दोस्तों और परिवार की मदद से लड़ते गए, लेकिन उन्होंने अपने मूर्खता के साथ खिलवाड़ किया और सभी दिलों को जीत लिया।

गोपाल पंच बन गए, और वह अब गाँव के सबसे अहम व्यक्ति बन गए। उन्होंने सोचा कि यह समय है उनके मूर्खपन का सबक सीखने का।

गोपाल ने अपने पंच कार्यकाल के दौरान अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाया। वह सबके साथ अच्छे संबंध बनाए और गाँव की समस्याओं का समाधान ढूंढने में सफल रहे।

गोपाल ने यह सिखा कि मूर्खता केवल उसके बुद्धि की कमी नहीं होती, बल्कि उसके कृतियों में भी। वह यह भी समझ गए कि कोई भी अपने प्रयासों से सफल हो सकता है, चाहे वो कितना भी मूर्ख क्यों ना हो।

21# चींटी और कबूतर की कहानी


बहुत समय पहले की बात है, एक छोटी सी चींटी और एक बड़ा सुंदर कबूतर जंगल में रहते थे। चींटी बहुत मेहनती थी और हमेशा उदाहरणीय परिश्रम के साथ मिट्टी की खोज में लगी रहती थी। वह चारों ओर अपनी मेहनत से खुद को और अपने परिवार को पालने में लगी रहती थी।

वहीं, कबूतर आकाश में उड़ने का आनंद लेता था और आकाशीय खुले आकाश के लिए हमेशा उत्सुक रहता था। वह चींटी को देखता और सोचता, "इतनी मेहनत करने की जरुरत ही क्यों है? तो इतना उदाहरणीय क्यों है?" उसकी निगाहें उस चींटी की मेहनत से चारों ओर घुमती रहती थी।

एक दिन, जब कबूतर उड़ते हुए चींटी के पास आया, उसने पूछा, "हे चींटी, तुम इतनी मेहनत क्यों करती हो? क्या तुम्हें कभी अपनी खुशी भी मिलती है?"

चींटी ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, आपकी तरह मुझे आकाशीय ऊँचाईयों की तरफ उड़ते देखने की मेरी ख्वाहिश नहीं है, पर मेरी मेहनत और उदाहरणीय परिश्रम से मैं अपने परिवार को पालने में समर्थ हो जाती हूँ।"

कबूतर ने गर्व से सिर उचकाया और समझा कि हर किसी की अपनी खुशी है और सफलता का मापदंड भी अलग-अलग होता है। वह चींटी से मिलकर उसकी मेहनत की प्रशंसा की और समझा कि हर एक की अपनी महत्ता होती है। इसके बाद से, दोनों ने साथ में जंगल के खूबसूरत नजारों का आनंद लिया और एक-दूसरे की मेहनत की प्रशंसा की।

इसकी गति में, दोनों ने एक-दूसरे के साथ अच्छी मित्रता बनाई और जंगल में सुख-शांति से रहने का आनंद लिया। चींटी ने अपनी मेहनत से खुद को और कबूतर ने आकाश में उड़कर अपनी खुशी पाई। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर एक की मेहनत की प्रशंसा करनी चाहिए और हर एक की अपनी महत्ता होती है।

22# एक बूढ़े व्यक्ति की कहानी


एक गांव में, जिसका नाम रामपुर था, एक बूढ़े व्यक्ति नामक रामचंद जी निवास करते थे। वह गांव के सबसे बड़े और आदरणीय व्यक्ति थे। उनके पास बहुत सारी कहानियाँ थीं, और वे बच्चों को रोज़ अपनी कहानियों से सिखाते थे।

रामचंद जी का बचपन बहुत ही कठिन था। वे एक गरीब परिवार से थे और उन्हें बचपन से ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हमेशा मेहनत करके अपने लक्ष्यों को पूरा किया।

रामचंद जी ने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हमेशा उन्हें पार कर लिया। वे एक बड़े गोलू की दुकान पर काम करते थे, जिसका वे मालिक बन गए थे। उन्होंने अपने कठिन कठिन समयों में भी अपने काम को कभी नहीं छोड़ा और सफलता पाई।

रामचंद जी का जीवन बूढ़े होने के बावजूद भी बहुत ही सजीव और उत्साहित था। उनके साथ गांव के बच्चे बहुत प्रेम से समय बिताते थे और उनकी कहानियों से बच्चे हमेशा प्रेरित होते थे।

एक दिन, गांव में एक बड़ा संकट आया। बाढ़ की वजह से बहुत सारे लोगों का घर बर्बाद हो गया और उन्हें भूखमरी का सामना करना पड़ा। गांव के लोग बेहद परेशान थे और सहायता की बजाय दूसरे से लेने के लिए भागने लगे।

रामचंद जी ने इस स्थिति को देखा और तय किया कि वे कुछ करेंगे। उन्होंने अपनी दुकान से अपनी बचत का सारा पैसा लेकर गांव के गरीब लोगों के लिए खाना खरीदने का आयोजन किया।

रामचंद जी की इस निर्व्यापक भलाई की खबर गांव के लोगों तक पहुँच गई और वे सब खाने के लिए एक साथ आए। उन्होंने एक साथ मिलकर बड़े धैर्य और सदयता के साथ खाना खाया।

रामचंद जी की इस बड़ी उपकारी क्रिया ने गांव के लोगों के दिलों में जगह बना दी। उन्होंने सबको एक साथ आने की बजाय एकत्र होकर समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने का सिखाया। उनकी इस महान क्रिया ने गांव के लोगों के बीच सद्गुण और साहस की मिसाल प्रस्तुत की।

रामचंद जी की कहानी आज भी गांव के बच्चों के बीच पैरों के नीचे बसी हुई है, और उनका उपकारी और साहसी दृष्टिकोण गांव के लोगों को हमेशा प्रेरित करता है। वे बूढ़े होने के बावजूद भी अपने समय को गांव के लोगों की सेवा में बिताते हैं और उनकी कहानियों से नए सपने और उत्साह का संदेश देते हैं।

23# रास्ते में बाधा (Short Story in Hindi)


रास्ते में बाधा की कहानी

एक छोटे से गांव के पास एक सुनहरे सर्दियों के सवेरे का मनमोहक दृश्य बना था। सुबह की ठंड में बूढ़े चारण, जिनका नाम बाधा था, अपने गृहवालों के साथ खुशी-खुशी गांव के बाजार की ओर बढ़ चले।

बाधा गांव का सबसे जाना-पहचाना व्यक्ति था। उनके साथी गांववाले हमेशा उनके साथ होते थे, क्योंकि वे एक सही मार्ग का पता जानते थे। बाधा एक संवादी और समझदार व्यक्ति थे, जिनके पास विशेष रूप से समस्याओं का समाधान ढूँढ़ने की क्षमता थी।

एक दिन, बाधा और उनके साथी गांववाले रास्ते पर चल रहे थे, जब वे एक बड़े आदमी से मिले, जिनका नाम राजा विक्रम सिंह था। राजा विक्रम सिंह ने उनसे कुछ मदद मांगी, क्योंकि उनके राज्य में एक भयानक दुर्भिक्ष का सामना कर रहा था। वह कह रहे थे, "कृपया मेरी प्रजा की मदद करें, बाधा जी। हमारे राज्य के लोग प्यासे मर रहे हैं।"

बाधा और उनके साथी गांववाले ने राजा विक्रम सिंह की मदद करने का वाचन दिया। वे उनके साथ राज्य की ओर बढ़े और वहां पहुंचकर देखा, लोग वाकई बहुत प्यासे थे।

बाधा ने अपने साथी गांववालों के साथ मिलकर योजना बनाई और पानी की वितरण योजना तैयार की। वे पानी के स्रोत की ओर अग्रसर हुए और उसे बहुत तरह से सफाई और उपयोग में लाने में सफल रहे।

बाधा और उनके साथी गांववाले ने पूरी रात काम किया, और सुबह होते ही पानी का वितरण शुरू किया। उन्होंने लोगों को प्यास के मारे जीवन की ओर एक नया मोड़ दिखाया।

राजा विक्रम सिंह ने बाधा और उनके साथी गांववालों को बहुत धन्यवाद दिया और उन्हें अपने दरबार में बुलवाया। वह उन्हें बड़े सम्मान से संबोधित किया और उन्होंने उनके योगदान की महत्वपूर्णता को समझा।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बड़े आपदाओं का सामना करने के लिए हमें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए, और जब हम एक सच्चे उद्देश्य के लिए मिल जाते हैं, तो हम किसी भी समस्या का समाधान निकाल सकते हैं। बाधा और उनके साथी गांववाले ने मिलकर अपने समाज के लिए बड़ा कार्य किया और एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।

24# गलत सलाहकार की कहानी


यह है "गलत सलाहकार की कहानी"

किसी छोटे से गांव में एक सलाहकार रहता था जिसका नाम रामु हुआ करता था। रामु गांव के लोगों के बीच में काफी प्रसिद्ध था क्योंकि उसका सलाह बहुत ही सरल और सुसज्जित था। लोग उससे अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए आते थे।

एक दिन, गांव में एक युवक आया जिसका नाम सुरज था। सुरज के पास गांव की खेतों में काम करने का मौका था, लेकिन उसका मन अलग कामों में लगा था। उसने रामु से सलाह लेने का निर्णय किया।

रामु ने सुरज से कहा, "तुम्हें गांव के खेतों में काम करना चाहिए। किसानी बहुत ही अच्छा काम है।"

सुरज ने रामु की सलाह सुनी और खेतों में काम करने का निर्णय लिया। लेकिन कुछ ही दिनों में सुरज को खेतों में काम करते समय बहुत थकान महसूस होने लगी और उसे यह काम अच्छा नहीं लगने लगा।

फिर से रामु के पास जाकर सुरज ने कहा, "रामु, मुझे खेतों में काम करने में अच्छा नहीं लगता। क्या आपके पास कोई दूसरा सुझाव है?"

रामु ने फिर से सुझाया, "तुम्हें खेतों में काम करना चाहिए। यह बेहद उपयोगी है और तुम्हें सारे गांव के लोगों का सामर्थ्य दिखाएगा।"

सुरज ने फिर से रामु की सलाह मान ली, लेकिन उसका मन खेतों में काम करने के बजाय कुछ और करने का था। वह थका-हारा महसूस करता और सलाहकार रामु की सलाह के चलते अपनी सही पथ पर नहीं चल पा रहा था।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें सलाहकार की सलाह को सुनने के बाद अपनी स्वीकृति से और ध्यान से उसे परिणाम स्वरूप अपनी स्थिति को निर्धारित करना चाहिए। सब कुछ हमारे स्वार्थ के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि हमें अपने कौशल और रुचि के हिसाब से सही निर्णय लेना चाहिए।

25# सबकी जीत के बारे में सोचें कहानी


एक गाँव में एक बुद्धिमान गाँववाला रहता था। उसका नाम रामु था। वह गाँव के सभी लोगों की सहायता करने के लिए जाना जाता था। वह बच्चों को शिक्षा देने के लिए स्कूल भी चलाता था। उसका सपना था कि उसका गाँव सभी गरीब लोगों के लिए समृद्ध हो।

एक दिन, गाँव में एक क्रिकेट मैच का आयोजन हुआ। रामु ने देखा कि गाँव के कुछ बच्चे मैच में नहीं खेल सकते क्योंकि उनके पास क्रिकेट किट नहीं थी। इससे उसे बहुत दुःख हुआ। उसने सोचा कि वह कुछ करके सभी बच्चों को मौका दिलाए।

रामु ने अपनी जमीन बेच दी और गाँव में क्रिकेट के लिए सामग्री खरीदी। उसने बच्चों को क्रिकेट खेलने का मौका दिया और उन्हें प्रोफेशनल कोच भी रखा। वहाँ क्रिकेट की टीम बनी और गाँव की टीम कई प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगी।

समय बीतते-बीतते गाँव की टीम बहुत प्रखर हो गई। उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की। रामु की यह पहल गाँव के लोगों को सामृद्धिकरण की दिशा में उत्तेजित कर दी। उन्होंने सभी को यह सिखाया कि सबकी मदद करना और सभी को जीत मिलना चाहिए।

इस प्रकार, रामु ने अपनी सोच से सबको प्रेरित किया और उन्हें यह सिखाया कि सबकी जीत ही असली जीत होती है।