महिलाओ का स्वाभाव पुरुषो से अलग होता है और इसके पीछे कई सारे कारण है जिनमे से एक है हार्मोन। महिला में कितनी उम्र तक सम्बन्ध बनाने की इच्छा हो सकती है, ये अलग अलग महिलाओ में अलग अलग हो सकता है लेकिन फिर भी एक औसतन उम्र वैज्ञानिक तरीके से दी जा सकती है। पुरुषो को सम्बन्ध बनाने की इच्छा 16-17 की उम्र से शुरू हो जाती है क्योकि उस उम्र से पुरुष में नर हार्मोन सक्रिय हो जाते है। वैसे ही महिलाओ में भी मादा हार्मोन के सक्रिय होने से सेक्स यानि संबंध बनाने की इच्छा पैदा होती है। आमतौर पर समाज में ऐसे सवालो को सही ढंग से नहीं लिया जाता क्योकि शर्म नाम का पर्दा इसके बीच आ जाता है। लेकिन ये एक ऐसा टॉपिक है जिस पर हमें आने वाली पीढ़ियों से खुल कर बात करनी चाहिए ताकि उनमे दिखने वाले बदलाव से वे पूरी तरह सचेत रहे।
जानें क्यों होती है महिलाओं को संबंध बनाने की इच्छा
महिलाओ में मादापन के लक्षणों के लिए मादा हार्मोन जिम्मेदार होते है जिनमे मुख्य है एस्ट्रोजन हार्मोन। ये हार्मोन स्टीरोइड प्रकृति का होता है। इस हार्मोन के निर्माण के साथ ही एक महिला अपने अंदर की मादा का अहसास कर लेती है। इसके कई सारे सबूत हो सकते है जैसे पहली बार पीरियड होना, पुरुष को देखकर मन के अंदर तरंग सी बहना इत्यादि हो सकता है। स्त्री में मेंस्ट्रुअल चक्र की शुरुआत 12-13 वर्ष की उम्र से हो जाती है। जिसके साथ ही उसमे एस्ट्रोजन का निर्माण भी बढ़ जाता है और एक सामान्य स्त्री अपने अंदर मादा लक्षणों को देख सकने के साथ साथ फील भी कर सकती है।
आमतौर पर ये धारणा होती है की पुरुषो के अंदर संबन्ध बनाने की इच्छा ज्यादा होती है और एक महिला इतना एहसास नहीं करती लेकिन सत्य इससे परे है। एक महिला के अंदर भी संबंध बनाने की उतनी ही इच्छा जाग्रत होती है जैसे की किसी पुरुष में होती है। महिलाओ द्वारा एक आकर्षक पुरुष को देखकर वही प्रक्रिया होती है जो एक पुरुष द्वारा एक आकर्षक महिला को देखने पर होती है। अगर महिला ने लम्बे समय से संबध नहीं बनाये है और वह सिंगल ही है तो उनमे हार्मोन चरम पर होते है जिससे उनके अंदर सम्बन्ध बनाने की इच्छा ज्यादा होती है।
आखिर महिला की कितनी उम्र तक सम्बन्ध बनाने की इच्छा होती है?
अगर हम महिलाओ में सम्बन्ध बनाने की इच्छा की बात करे तो उनमे जब पुबर्टी फेज आती है यानि 14 वर्ष की उम्र में तब से उनके अंदर हार्मोन सक्रिय हो जाते है। और 16-17 की उम्र तक एक महिला परिपक्व स्त्री में बदल जाती है। इस 17 वर्ष की उम्र से एक महिला में सम्बन्ध बनाने की इच्छा जाग्रत हो जाती है। अब अगर महिला को कोई उपयुक्त नर मिलता है जिसके साथ वो सम्बन्ध बना सके तो वो इसमें हिच खिचाहट नहीं दर्शाती।
जैसा की पहले बताया गया है की एक महिला में मासिक चक्र की शुरुआत 12 वर्ष की उम्र तक हो जाती है जिसके साथ ही उसमे मादापन का हार्मोन एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ जाता है, और उसके बाद संबध बनाने की इच्छा शरू हो जाती है। लेकिन एक उम्र भी आती है जब ये मासिक चक्र समाप्त हो जाता है जिसकी औसतन उम्र 45-55 होती है। मासिक चक्र के समाप्त होने की प्रक्रिया को रजोनिवृति कहते है और इसी के साथ शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल भी कम होने लगता है। एस्ट्रोजन के कम होने के साथ ही एक महिला में सम्बन्ध बनाने की इच्छा हार्मोन के द्वारा खतम हो जाती है।
लेकिन एक महिला इंसान है और इंसान के पास मौजूद उसके मस्तिष्क में सारी बातें जो उसके जीवन में घटित हुई है संचित रहती है। तो एक महिला जिसने अपने जीवन में अगर एक बार भी सम्बन्ध बनाया हो उसकी स्मृति उसके अंदर रहती है जो की हार्मोन के कम लेवल होने पर भी सम्बन्ध बनाने की इच्छा को जाग्रत करने के लिए काफी होती है।
भारत में तत्काल महिला कामोत्तेजना के लिए दवा
अगर महिला अपनी कामोत्तेजना को लेकर काफी चिंतित है और चाहती है की इसकी कोई दवा मिल जाये तो अच्छा हो तो आप किसी डॉक्टर से परामर्श कर सकती है। एक स्त्री विशेष्ज्ञ आपको महिला कामोत्तेजना के शारीरिक लक्षण के बारे में अच्छे से बता सकती है साथ ही तत्काल महिला कामोत्तेजना के लिए दवा भी लिख कर दे सकती है। अगर आप किसी लोकल दवाई स्टोर पर जाये तो वहा पर आपको ये दवा मिल जाएगी। इसके अलावा आप महिलाओं में कामेच्छा बढ़ाने की होम्योपैथिक दवा भी ले सकते है जिसके लिए आपको किसी होम्योपैथी के डॉक्टर से परामर्श लेना होगा।
पुरे आर्टिकल को एक लाइन में कहे तो एक महिला को सम्बन्ध बनाने की इच्छा 55 वर्ष तक हो सकती है लेकिन इसका मतलब ये नहीं की अब वो महिला सम्बन्ध बनाना ही नहीं चाहती है। हालाँकि उनमे रजोनिवृति के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर के निचे आने कारण सम्बन्ध बनाने की मुख्य इच्छा में गिरावट देखि जा सकती है। इस बात का निर्धारण करना सही नहीं होगा की इस उम्र तक ही सम्बन्ध बनाने की इच्छा हो। वैसे महिलाओ के मुकाबले पुरुषो में देखा जाये तो उनमे उम्र भर स्पर्म का निर्माण होता रहता है जिसके चलते उनके अंदर नर हार्मोन टेस्टस्टेरॉन का निर्माण होता रहता है।
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